बदलते दौर के साथ लोगों की जीवनशैली में भी बहुत तेजी से बदलाव आ रहा है। इस बदलाव का दुष्प्रभाव लोगों के सामान्य जीवन एवं स्वास्थ्य पर नज़र आता हैं। इन दुष्प्रभावों को कम करने के लिए आयुर्वेद, योग एवं पारम्परिक जीवनशैली को नवीनीकरण के साथ अपनाने के लिए बहुत अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए बहुत सी संस्थाएं कार्यरत है। ऐसी ही एक संस्था पतंजलि है जिसके बारे में इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे है। तो चलिए शुरू करते है पतंजलि की सफलता की यात्रा।

Patanjali सफर का शुभारंभ
पतंजलि की शुरुआत दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना से हुई। इस ट्रस्ट की स्थापना 5 जनवरी 1995 को कनखल के कृपालु बाग आश्रम में हुई। उस समय बालकृष्ण आचार्य एवं योग गुरु बाबा रामदेव के पास संसाधनों का अभाव था, उनके पास trust के पंजीकरण के लिए भी पैसे नही थे। तब उन्होंने बीस हज़ार रुपये उधार लेकर ट्रस्ट का पंजीकरण करवाया। दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना के साथ 1995 में ही दिव्य फार्मेसी का भी पंजीकरण करवाया गया। इस प्रकार पतंजलि की शुरुआत तो हो गयी लेकिन बाबा रामदेव एवं बालकृष्ण आचार्य के पास दवाई बनाने के लिए साधन उपलब्ध नहीं थे। वे किराये के बर्तनों में च्यवनप्राश बनाते, हाथ से ही गोली एवं दवाई की पुड़िया बनाते थे। धीरे धीरे संसाधनों की व्यवस्था हुई और आयुर्वेद एवं योग का संदेश लोगों तक पहुँचने लगा। लेकिन बाबा रामदेव एवं बालकृष्ण आचार्य इसे जन जन तक पहुंचाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं माउथ पब्लिसिटी की सहायता से योग, आयुर्वेद एवं स्वदेश का संदेश घर घर तक पहुँचाया। वर्ष 2000 में संस्कार चैनल पर पहली बार सायंकाल 6:45 को 20 मिनट के योग कार्यक्रम के प्रसारण की शुरुआत हुई।
वहीं सितम्बर 2003 में पहली बार छत्रसाल स्टेडियम, दिल्ली के शिविर का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर हुआ। अगले ही वर्ष 2004 से गुजरात के राजकोट से आस्था चैनल पर सुबह 5 से 8 बजे तक योग शिविरों का सीधा प्रसारण शुरू हुआ जो कि आज भी चल रहा है। योग के अलावा आस्था चैनल पर जड़ी बूटियों का कार्यक्रम भी प्रसारित होने लगा जिससे लाखों लोगों को लाभ हुआ है। आस्था एवं संस्कार चैनल के अलावा आस्था भजन, वैदिक, अरिहंत ,आस्था इंटरनेशनल चैनलों के माध्यम से भी पतजंलि आयुर्वेद एवं योग करोड़ो लोगों तक पहुँचा। वहीं सोशल मीडिया प्लेटफार्म के फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि पर पतंजलि के 2 करोड़ से भी ज्यादा followers है।
मीडिया का सदुपयोग करने के साथ ही पतंजलि ने संगठन शक्तियों का भी उपयोग किया। इसके लिए पतंजलि योग समिति, महिला पतंजलि योग समिति, भारत स्वाभिमान संगठन, पतंजलि किसान सेवा समिति एवं पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को गठित किया गया। इन संगठनों का विस्तार आज भारत के 600 जिलों, 5000 तहसीलों एवं 20 लाख गाँवों तक है। इसके अलावा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट एवं पतंजलि योग समिति विश्व के कई बड़े देशों में अपनी सेवाएं दे रहे है।
इस सबके अलावा जनसेवा के लिए पतंजलि ने अपने योगपीठ, रिसर्च इंस्टीट्यूट, विश्वविद्यालय, आचार्यकुलम एवं गुरुकुलम की स्थापना भी की। पतंजलि योगपीठ का पहला चरण 2006 में हरिद्वार में पूरा हुआ। आज मोदीनगर, रांची, दिल्ली, ऋषिकेश, गुवाहाटी, काठमांडू (नेपाल) स्कॉटलैंड आदि में पतंजलि योगपीठ सेवारत है जिनमे 10 हज़ार से भी ज्यादा लोगों के आवास, भोजन, उपचार ,प्रशिक्षण की व्यवस्था है। दूसरी ओर पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट में विश्वस्तरीय अनुसंधान का कार्य चल रहा है। जबकि पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज एवं पतंजलि विश्वविद्यालय में छात्रों को उच्च शिक्षा एवं संस्कार दिए जा रहे है। इसी श्रृंखला में 2010 में वैदिक गुरुकुलम, 2013 में आचार्यकुलम की एवं 2017 में पतंजलि गुरुकुलम की स्थापना की गई जिससे विद्यार्थियों को वैदिक शिक्षा के साथ, आधुनिक शिक्षा दीक्षा एवं संस्कार दिए जा सके।
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड
दिव्य फार्मेसी जिसकी स्थापना 1995 को हुई थी, उसे 2006 में प्राइवेट कंपनी में बदलकर पतंजलि आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड बनाया गया। इसके अगले ही वर्ष 2007 में पतंजलि को पब्लिक कंपनी में बदल दिया गया। इस पब्लिक कंपनी के 94% शेयर के owner बालकृष्ण आचार्य है। वर्तमान में इसका headquarter उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित है जबकि registered office दिल्ली में है। आज के समय मे Patanjali Ayurved Limited भारत में सबसे तेजी से grow करने वाली FMCG (Fast-moving consumer goods) कंपनी बन गयी है। वर्ष 2018 -19 में पतंजलि कंपनी की कुल आय 9500करोड़ रुपये थी। जबकि वर्ष 2019 में इस कंपनी की value 490 मिलियन डॉलर थी। वर्ष 2019 में भारत की ही एक कंपनी रुचि सोया जो कि दिवालिया होने की कगार पर पहुँच गयी थी, उसे पतंजलि ने 4350 करोड़ रुपये में खरीदकर अपनी subsidiary कंपनी बना ली है।